Vastu For Office - इन वास्तु नियमो का पालन करके बढ़ाएं अपना व्यापर



क्या आपने कभी सोचा है कि आपके कार्यालय का वातावरण आपके व्यापार को कैसे प्रभावित कर सकता है? आपके कार्यालय का सही वास्तुशास्त्र के साथ मेल खाता है, तो आपके व्यापार को सकारात्मक ऊर्जा और सफलता की ओर बढ़ा सकता है।

Vastu Tips For Office के अनुसार कार्यस्थल का वातावरण हमारे मानसिक और शारीरिक कल्याण को प्रभावित करता है। एक अच्छे वास्तु के साथ, हम अपने कर्मचारियों को मनोबल बढ़ाने और उनके प्रदर्शन को सुधारने का मौका देते हैं, जो किसी भी व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण है।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपके साथ साझा करेंगे 'Vastu for office' जो आपके कार्यालय को सकारात्मक और समृद्धि का केंद्र बनाने में मदद करेंगे। यहां हम वास्तुशास्त्र के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को और कार्यालय में उनका अनुपालन करने के तरीकों को देखेंगे, ताकि आपका व्यापार सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहे और आप और आपके कर्मचारी सफलता की ओर अग्रसर कर सकें।  

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परिचय

व्यापार में वास्तु शास्त्र का महत्व व्यापार एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें सफलता पाने के लिए न केवल उद्यमिता और सामर्थ्य की आवश्यकता होती है, बल्कि एक सकारात्मक और संतुलित वातावरण की भी। वास्तु शास्त्र व्यापारिक स्थल के डिज़ाइन और आयाम को सकारात्मकता से भर देता है और व्यवसाय की वृद्धि और उन्नति में मदद कर सकता है। इस ब्लॉग में, हम आपको व्यापार में वास्तु शास्त्र का महत्व और उसके उपायों के बारे में बताएंगे जो आपके व्यापार को नए उंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करेंगे।

इस ब्लॉग का उद्देश्य हमारा उद्देश्य यह है कि आपको व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए वास्तु शास्त्र के योग्यता और उपायों के बारे में सामग्री और ज्ञान प्रदान करें। हम व्यवसायिक स्थल के डिज़ाइन, स्थान का चयन, और आंतरिक वातावरण में सुधार करने के तरीकों पर बात करेंगे जो आपके व्यापार को विकसित करने में मदद करेंगे।

इस तरह से, आपका व्यापार वास्तु शास्त्र के माध्यम से अपने लक्ष्यों की दिशा में एक नई ऊंचाइयों तक पहुँच सकता है।

कार्यालय के लिए उपयुक्त स्थान का चयन

A. स्थान के विचार

1. मुख्य सड़क की दिशा:

कार्यालय के स्थान का चयन करते समय, मुख्य सड़क की दिशा का महत्वपूर्ण होना चाहिए। यह व्यापार के लिए आसान पहुंच और उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित अवसर प्रदान कर सकता है।

2. वायुमंडलिय अस्पतालों से दूरी:

कार्यालय के स्थान का चयन करते समय, वायुमंडलिय अस्पतालों से दूरी रखने का ध्यान देना महत्वपूर्ण है। इससे कर्मचारियों की स्वास्थ्य और सुरक्षा का संरक्षण हो सकता है।

B. कार्यालय भवन की योग्यता

1. आकार और संरचना:

कार्यालय भवन का आकार और संरचना उसकी कार्याचना को प्रभावित कर सकते हैं। एक अच्छा डिज़ाइन कर्मचारियों की कार्य प्रदर्शन को बढ़ावा दे सकता है और सही संरचना सभी कार्यों को सुझाव देती है।

2. प्रवेशद्वार का ठीक से स्थान:

कार्यालय के प्रवेशद्वार का ठीक से स्थान पर रखना महत्वपूर्ण है। यह आपके कार्यालय की पहुंच और दर्शकों के लिए एक अच्छा प्रथम इम्प्रेशन बना सकता है।

कार्यालय के space का डिज़ाइन

A. डेस्क स्थापना और समय सारणी (Desk and time table)

डेस्क स्थापना और समय सारणी कार्यालय के आंतरिक डिज़ाइन में डेस्कों की सही स्थापना महत्वपूर्ण है। डेस्कों को वास्तु सुझावों के मुताबिक रखने से कर्मचारी अधिक प्रोडक्टिव हो सकते हैं, और समय सारणी की मदद से कार्य समय पर हो सकता है, जिससे व्यापार में वृद्धि हो सकती है।

B. रंग और सजावट

रंग और सजावट का महत्व वास्तु शास्त्र में रंग और सजावट का विशेष महत्व है। सही रंगों का चयन और सजावट कार्यालय के माहौल को सकारात्मक बना सकते हैं और कर्मचारियों की ऊर्जा को बढ़ावा दे सकते हैं।

C. पेड़ पौधे 

पौधों का संजीवन पौधों का कार्यालय में जगह देना वातावरण को हरित और प्राकृतिक बना सकता है। ये पौधे हवा को शुद्ध करने, सुखद और शांत माहौल बनाने में मदद कर सकते हैं, जिससे कार्यालय के कर्मचारियों का स्वास्थ्य और ध्यान में सुधार हो सकता है।

सम्मेलन और मीटिंग कक्ष

A. सम्मेलन कक्ष

सम्मेलन कक्ष का उपयोग सम्मेलन कक्ष का उपयोग कार्यालय में वैशिष्ट्यपूर्ण हो सकता है। यहाँ, आपके कार्यक्रम, मीटिंग, और टीम की बैठकों का आयोजन हो सकता है। सही सम्मेलन कक्ष के डिज़ाइन और सुविधाओं का उपयोग करके आप व्यापारिक मीटिंग्स को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।

B. मीटिंग कक्ष

वास्तु सुझावों का पालन सम्मेलन और मीटिंग कक्ष के डिज़ाइन में वास्तु सुझावों का पालन करने से आपके कार्यक्रमों का सफलता प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। यह आपके मीटिंग्स को सकारात्मक और उत्कृष्ट बना सकता है और प्रतिभागियों को प्रभावित करने में मदद कर सकता है।

कार्यालय में वास्तु गलतियां और सुधार

A. गलतियों की पहचान

गलतियों की पहचान कार्यालय के वास्तु में होने वाली गलतियों को पहचानना महत्वपूर्ण है। इसमें विभिन्न प्रकार की गलतियां शामिल हो सकती हैं, जैसे कि डिज़ाइन, स्थापना, या फर्नीचर के प्रति सही ध्यान न देना। गलतियों को पहचान करने से आप सुधार की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

B. वास्तु सुधार

पहले और बाद के वास्तु सुधार कार्यालय में वास्तु सुधार करने के लिए पहले और बाद के स्थितियों का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है। आपको जांचना चाहिए कि सुधार के परिणामस्वरूप कार्यालय में कैसे बदलाव हुआ है और कैसे यह व्यवसायिक माहौल को प्रभावित कर रहा है। इसके आधार पर आपको आवश्यक सुधार कर सकते हैं और व्यापार में सुधार कर सकते हैं।

मौजूदा कार्यालयों के लिए वास्तु उपाय

A. मौजूदा कार्यालय के लिए वास्तु सुझाव

मौजूदा कार्यालय को वास्तु सुझावों के साथ सुधारने के लिए निम्नलिखित तरीके हैं:
  • सही डिज़ाइन और आयोजन: आपके कार्यालय के डिज़ाइन और आयोजन को बदलकर सुधार सकते हैं। सही दिशाओं में काम करने वाले कर्मचारी को अधिक सुखद और सकारात्मक वातावरण में काम करने में मदद मिलेगी।
  • प्राकृतिक प्रकोप से बचाव: आपके कार्यालय में पौधों का संजीवन और पृष्ठभूमि पर प्राकृतिक प्रकोप से बचाव के लिए पौधों को शामिल करें। यह सबसे साकारात्मक और सुखद वातावरण बना सकता है।
  • रंग और सजावट: सही रंगों का चयन करें जो काम कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ा सकते हैं। सजावट के लिए आप प्राकृतिक तत्वों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि पौधों, प्राकृतिक प्रकोप, और खुले खिड़कियां।
  • पौधों का साथी: कार्यालय में पौधों को रखने से न केवल वातावरण को हरा-भरा बनाया जा सकता है, बल्कि यह स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकता है और विचारशीलता में सुधार कर सकता है।
  • अच्छी स्थिति की देखभाल: कार्यालय के सभी क्षेत्रों की अच्छी स्थिति की देखभाल करें, जैसे कि स्वच्छता, सुरक्षा, और सुविधाएं। यह कर्मचारियों के लिए सुरक्षित और सुखद अनुभव सुनिश्चित करेगा।
  • सुविधाओं का सुधारना: कार्यालय में सुविधाओं को सुधारकर कर्मचारियों के लिए बेहतर काम करने की स्थिति बना सकते हैं। इसमें मीटिंग कमरे, सम्मेलन कक्ष, और खुदरा इलाकों की सुविधाएं शामिल होती हैं।
  • सुधारे जा रहे प्रकल्प: वास्तु सुझावों के आधार पर सुधारों के प्रकल्प चलाएं और उन्हें पूरा करें। यह सुधार के परिणामस्वरूप कार्यालय को सकारात्मक और उत्कृष्ट बना सकता है।

मौजूदा कार्यालय के लिए ये वास्तु सुझाव आपके व्यवसाय को सकारात्मक ऊर्जा से भरकर और सफलता की ओर अग्रसर करने में मदद कर सकते हैं।

B. कार्यालय में वास्तु सुधार करने के लिए सरल उपाय 

कार्यालय में वास्तु सुधार करने के लिए सरल उपायों का पालन करने से आपके कार्यालय को सकारात्मक ऊर्जा मिल सकती है और कर्मचारियों के प्रदर्शन को सुधार सकते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ सरल वास्तु सुझाव:
  • कर्मचारी क्षेत्र का स्वच्छ और सुथरा रखें: अपने कार्यालय के सभी कर्मचारी क्षेत्र को नियमित रूप से सफाई और सुथराई से रखें। यह न केवल वातावरण को अच्छा बनाए रखता है, बल्कि कर्मचारियों के मनोबल को भी बढ़ावा देता है।
  • प्राकृतिक प्रकोप से बचाव: आपके कार्यालय में पौधों को शामिल करें जो प्राकृतिक प्रकोप से बचाव कर सकते हैं, जैसे कि फिकस, सनसेवियर, और अलोवेरा। ये पौधे कार्यालय को हरा-भरा बनाते हैं और वातावरण को शांति और सकारात्मक ऊर्जा देते हैं।
  • फोटोग्राफी और कला का उपयोग: आप अपने कार्यालय को और भी आकर्षक और सकारात्मक बना सकते हैं जब आप कार्यालय की दीवारों पर कला और फोटोग्राफी का उपयोग करें। यह कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ावा देता है और क्रियाशीलता को बढ़ावा देता है।
  • ध्यान का स्थान: कार्यालय में एक ध्यान क्षेत्र या पूजा स्थल बनाएं। यह आत्म-साकारात्मकता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है और तनाव को कम कर सकता है।
  • अच्छी बैठक व्यवस्था: बैठक कक्ष में अच्छी व्यवस्था करें ताकि मीटिंग्स और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुझावी और उत्कृष्ट तरीके से की जा सकें।
  • स्वच्छ हवा और प्राकृतिक प्रकोप से सुरक्षा: अच्छा हवा प्रबंधन और प्राकृतिक प्रकोप से सुरक्षा के उपायों को अपनाएं, जैसे कि अच्छे वायुशोधन और आपातकालीन प्राकृतिक प्रकोपों के लिए योजनाएँ।
ये सरल उपाय आपके कार्यालय को सुधारने में मदद कर सकते हैं और कर्मचारियों के लिए सकारात्मक और उत्कृष्ट वातावरण बना सकते हैं।

निष्कर्ष

इस ब्लॉग पोस्ट में, हमने व्यापार में वास्तु शास्त्र के महत्व को विश्लेषण किया और कार्यालय के वातावरण को सुधारने के लिए कुछ महत्वपूर्ण वास्तु उपायों के बारे में चर्चा की है। हमने कार्यालय के स्थान का चयन, आंतरिक डिज़ाइन, सम्मेलन कक्षों का उपयोग, वास्तु गलतियों की पहचान और सुधार, और मौजूदा कार्यालयों के लिए वास्तु उपायों के सुझाव दिए हैं। 

यह उपाय आपके कार्यालय के वातावरण को सुधारने और व्यापार को विकसित करने में मदद कर सकते हैं। वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करके, आप अपने कार्यालय को एक बेहतर और सकारात्मक स्थान बना सकते हैं, जो आपके व्यापार के सफलता की ओर कदम बढ़ा सकता है।
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Vastu Tips For Office - वास्तु दोष क्या है, यह क्यों होते हैं, और इन्हे दूर करने के उपाय

क्या आपके कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा की कमी हो रही है? क्या प्रोजेक्ट्स में अनियमितताएँ हैं? इसमें वास्तु दोष का हो सकता है कारण। हम जानते हैं कि कार्यालय का सुखद और सकारात्मक माहौल कितना महत्वपूर्ण है। 

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको Vastu Tips For Office के माध्यम से कार्यालय के लिए वास्तु सुझाव प्रदान करेंगे, साथ ही वास्तु दोष के प्रकार और यह क्यों होते हैं के बारे में भी चर्चा करेंगे। इस से आपके कार्यस्थल को सकारात्मकता और सफलता की दिशा में मदद मिलेगी।

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I. Vastu Tips For Office: 

वास्तु शास्त्र:

कार्यालय के Vastu Tips  के माध्यम से आपके संगठन को सफलता और समृद्धि की ओर अग्रसर करने का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। Vastu Shastra, एक प्राचीन भारतीय विज्ञान, हमारे आस-पास के पर्यावरण के प्रति हमारी भावनाओं और जीवनशैली के साथ कैसे मिलता है, यह समझने का एक माध्यम प्रदान करता है।

कार्यालय में Vastu Tips का महत्व:

कार्यालय का माहौल हमारे काम की उत्पत्ति, क्रियात्मकता, और साक्षरता पर बहुत अधिक प्रभाव डाल सकता है। सही वास्तु के पालन से हम सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने, कर्मचारियों की आत्मा को जागृत करने, और व्यापारिक सफलता को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।

एक संतुलित और मिलानसर कार्यस्थल की महत्वपूर्णता:

कार्यालय में संतुलित वास्तु न केवल कर्मचारियों के लिए शांति और सुखद अनुभव कराता है, बल्कि यह आपके व्यवसाय की सार्थकता और विकास में भी मदद करता है। यह ब्लॉग पोस्ट आपको वास्तु दोषों के प्रकार और उनके निवारण के तरीकों के बारे में जानकारी देगा, ताकि आप अपने कार्यालय को एक ऊर्जावान और सफल स्थान बना सकें।

आगामी अनुभागों में हम विस्तार से विचार करेंगे कि वास्तु दोष क्या होते हैं और वे क्यों होते हैं, साथ ही वास्तु दोषों को ठीक करने के तरीकों का भी विचार करेंगे।

II. वास्तु दोष के प्रकार

A. आग्नेय दोष (अग्नये दोष)

1. आग्नेय दोष का परिचय:

आग्नेय दोष Vastu Shastra में एक महत्वपूर्ण दोष माना जाता है। इसका मतलब है कि कार्यालय में आग्नेय दिशा की समस्याएँ हो रही हैं।

2. कार्यालय के वातावरण पर प्रभाव:

आग्नेय दोष के प्रकोप से कार्यालय में तनाव, आपसी विवाद, और काम की असफलता हो सकती है। यह दोष आपके कर्मचारियों के बीच की गुड़गुड़ाहट को भी बढ़ा सकता है।

3. आग्नेय दोष को ठीक करने के उपाय:

आग्नेय दोष को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:
  • आग्नेय क्षेत्र को साफ और अत्यंत शुद्ध रखें।
  • दक्षिण-पूर्व दिशा में एक प्याला जल रखें, जिसमें ट्रांसपेरेंट ग्लास की शीशी हो। इसे नियमित रूप से पूजा के दौरान उपयोग करें।
  • आग्नेय दोष को कम करने के लिए बूढ़े और अच्छे गुणवत्ता वाले लकड़ी के बीम को आग में डालें। यह यज्ञाग्निक शुद्धि के रूप में काम करेगा।
ये उपाय आग्नेय दोष को निष्कर्षित करने में मदद कर सकते हैं और कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देंगे।

B. वायव्य दोष (वायुव्य दोष)

1. वायव्य दोष का परिचय:

वायव्य दोष Vastu Shastra में एक और महत्वपूर्ण दोष है, जिसका संबंध हवा और वायुमंडल से होता है। यह दोष कार्यालय के वातावरण को प्रभावित करता है।

2. कार्यालय की उत्तेजना और सफलता पर प्रभाव: 

वायव्य दोष के प्रकोप से कार्यालय के अंदर की वातावरणिक स्तिथियाँ अस्तित्व में आती हैं, जिससे कर्मचारियों की उत्तेजना कम हो सकती है और काम की सफलता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

3. वायव्य दोष को ठीक करने के व्यावहारिक उपाय:

वायव्य दोष को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:
  • कार्यालय की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए पौधों को लगाएं, जिनसे अधिक ऑक्सीजन मिले।
  • वायुव्य दोष को कम करने के लिए वायुशुद्धि के लिए हवा शुद्धक का उपयोग करें, जैसे कि एयर प्यूरीफायर।
  • काम करते समय योग और प्राणायाम का अभ्यास करें, जो कर्मचारियों के लिए स्थिरता और शांति लाने में मदद कर सकता है।
ये उपाय वायव्य दोष को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देंगे।

C. ईशान्य दोष (ईशान्य दोष)

1. ईशान्य दोष का परिचय:

ईशान्य दोष एक प्रमुख वास्तु दोष है, जो कार्यालय के ऊर्जा और विचारों को प्रभावित करता है। यह दोष कार्यालय के पूर्व-पूर्व में स्थित होता है।

2. कार्यालय के लिए यह कैसे महत्वपूर्ण है:

ईशान्य दोष के प्रकोप से कार्यालय में ऊर्जा की अपयुक्त धारा हो सकती है, जिससे कर्मचारियों की सकारात्मकता और ध्यान बिगड़ सकते हैं। यह दोष कार्यालय की विचारशीलता और नयापन को प्रभावित कर सकता है।

3. ईशान्य दोष को ठीक करने के उपाय:

ईशान्य दोष को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:
  • कार्यालय के पूर्व-पूर्व में स्थित रूप मंदिर या पूजा स्थल का निर्माण करें। यह ऊर्जा को संतुलित कर सकता है।
  • ईशान्य दिशा में एक गोल्डन कलर का वाणी व्रिक्ष या सिमड़ी पौधा लगाएं, जिससे कीर्ति और सफलता की ऊर्जा को बढ़ावा मिले।
  • ईशान्य दोष को ठीक करने के लिए वास्तु के नियमों का पालन करें, जैसे कि वास्तु दिशा और अनुसरण करना।
ये उपाय ईशान्य दोष को कम करने में मदद कर सकते हैं और कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देंगे।

D. वायु दोष (वायु दोष)

1. वायु दोष का विवरण:

वायु दोष, Vastu Shastra में एक दोष है जो कार्यालय के वातावरण को प्रभावित करता है। यह दोष वायुमंडल और हवा से संबंधित होता है, और अशुभ वातावरण की ओर संकेत कर सकता है।

2. कैसे यह कार्यालय के वातावरण को प्रभावित करता है:

वायु दोष के प्रकोप से कार्यालय के वातावरण में अस्तित्व की अधिक गति हो सकती है, जिससे कर्मचारियों का ध्यान विचलित हो सकता है और काम की प्रगति पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

3. वायु दोष को ठीक करने के उपाय:

वायु दोष को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:
  • कार्यालय में प्रशांत और शांत वातावरण को बढ़ावा देने के लिए पौधों को लगाएं, जैसे कि फिकसस और अलोवेरा प्लांट।
  • वायु दोष को कम करने के लिए वायुशुद्धि के लिए हवा शुद्धक का उपयोग करें और नियमित रूप से हवा बाहर करें।
  • काम करते समय कार्यालय में नियमित वायुमंडल क्लींजिंग योग्यायाम का अभ्यास करें, जो ध्यान और सांत्वना को बढ़ावा देगा।
ये उपाय वायु दोष को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देंगे।

III. वास्तु दोष क्यों होते हैं

A. गृहस्थलक्षण (गृहस्थ लक्षण)

1. वास्तु दोष क्यों होता है - इसके पीछे के कारणों का विवरण:

वास्तु दोष के मुख्य कारणों में से एक गृहस्थलक्षण या गृहस्थ की गलतियां हो सकती हैं। यह कुछ कारण हो सकते हैं:
  • उत्तराधिकारिता: गृहस्थ के निर्माण या स्थान चयन में उत्तराधिकारिता की गलत उपयोग कार्यालय में वास्तु दोष का कारण बन सकती है, जैसे कि किसी की समझ में न आने वाला कोना या स्थान चयन के गलत निर्णय।
  • वास्तु शिल्पी की गलतियां: वास्तु शिल्पी की गलतियां, जैसे कि दरवाजों या खिड़कियों की गलत स्थानन या किसी भी वास्तुकला में त्रुटियां, कार्यालय के वास्तु दोष का कारण बन सकती हैं।
  • गृहस्थ की नकारात्मक भावनाएँ: गृहस्थ की नकारात्मक भावनाएँ या उसकी असुखी या स्थायी दुखों के कारण, वास्तु दोष का कारण बन सकती हैं, क्योंकि इससे उनका आत्मा और ऊर्जा कार्यालय में नकारात्मकता को बढ़ा सकता है।
2. कार्यालय में वास्तु दोष की जांच के लिए उपयुक्त लक्षण:

कार्यालय में वास्तु दोष की जांच के लिए निम्नलिखित लक्षणों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण हो सकता है:
  • कर्मचारियों की असुखी भावनाएँ: यदि कर्मचारियों में असुखी भावनाएँ या असंतुष्टि है, तो यह वास्तु दोष का संकेत हो सकता है
  • कार्य में असफलता: यदि कार्यालय में नियमित रूप से कार्य में असफलता हो रही है और प्रोजेक्ट्स किसी न किसी कारणवश बंद हो रहे हैं, तो यह वास्तु दोष की संकेत हो सकती है।
  • अनुसरण करने में कठिनाई: यदि आपके कार्यालय में कर्मचारी नियमित रूप से नियमों और दिशाओं का पालन नहीं कर पा रहे हैं, तो यह वास्तु दोष का संकेत हो सकता है।
इन लक्षणों के साथ,Vastu Shastra के एक विशेषज्ञ की सलाह लेना भी अच्छा हो सकता है, जिससे आप सही दोष की पहचान कर सकें और ठीक करने के उपायों को अपना सकें।

B. अनुषंगिकी (अनुषंगी)

1. व्यक्ति के व्यवहार और दिनचर्या कैसे वास्तु दोष को बढ़ा सकते हैं:

अनुषंगिकी या व्यक्तिगत आचरण वास्तु दोष को बढ़ा सकता है। यह आवश्यक है क्योंकि व्यक्तिगत आचरण और दिनचर्या किसी कार्यालय के वातावरण को प्रभावित कर सकते हैं और नकारात्मकता या संकट को बढ़ा सकते हैं। यह कुछ तरीके हैं कैसे यह हो सकता है:
  • अव्यवस्थित आचरण: अनुषंगिकी में अव्यवस्थित आचरण, जैसे कि अक्षम या दुश्मनानुकूल व्यवहार, कार्यालय के साथी कर्मचारियों के बीच विवाद का कारण बन सकता है।
  • संकटमय भावनाएँ: कर्मचारी के संकटमय भावनाएँ या असंतोष कार्यालय में अस्तित्व की अधिक छानबीन कर सकती हैं और कार्य में विघ्न डाल सकती हैं।
  • अव्यवस्थित दिनचर्या: अव्यवस्थित दिनचर्या या आलस्यकारी आचरण, जैसे कि देर से पहुंचना या कार्य को तय किए गए समय में पूरा न कर पाना, कार्यालय में समय की बर्बादी का कारण बन सकता है।
2. ये अनुषंगिकी क्यों होते हैं और उन्हें कैसे सुधारा जा सकता है:

अनुषंगिकी की यह स्थिति हो सकती है क्योंकि यह किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्थिति और मानसिकता पर निर्भर करती है। हालांकि, इसे सुधारा जा सकता है:
  • मानसिक स्वास्थ्य समर्थन: कार्यालय में मानसिक स्वास्थ्य समर्थन प्रदान करना महत्वपूर्ण है, जैसे कि आत्म-संरक्षण कार्यक्रम, मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग, और समर्थन समूह।
  • प्रशिक्षण और संवादना: कर्मचारियों को सही व्यवहार और दिनचर्या के लिए प्रशिक्षित करना और संवादना प्रदान करना व्यक्तिगत आचरण को सुधारने में मदद कर सकता है।
  • स्वास्थ्य और योग: स्वास्थ्यपूर्ण दिनचर्या और योग के अभ्यास करने से कर्मचारी अधिक प्रबल और स्वस्थ रह सकते हैं, जिससे वास्तु दोष को कम करने में मदद मिल सकती है।
इन कदमों के माध्यम से, अनुषंगिकी को सुधारा जा सकता है, जो कार्यालय में सकारात्मक और सुखद वातावरण को बढ़ावा देगा।

IV. निष्कर्षण

कार्यालय में वास्तु दोष के महत्वपूर्ण पायंट्स:

1. कार्यालय की सफलता पर प्रभाव: 

वास्तु दोष कार्यालय के वातावरण को प्रभावित कर सकता है और कार्यालय के कर्मचारियों की सकारात्मकता, सफलता, और उत्तेजना को कम कर सकता है। यह कार्य प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव डाल सकता है और परियोजनाओं की ताक़त को कम कर सकता है।


2. वास्तु अनुपालन की महत्वपूर्णता: 

एक मिलानसर और उत्तराधिकारी कार्यस्थल के लिए वास्तु अनुपालन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कार्यालय के वातावरण को संतुलित और सकारात्मक बनाता है। सही दिशा, सही स्थान, और सही वास्तु विन्यास से कार्यस्थल के कर्मचारियों की ऊर्जा को बढ़ावा मिलता है और कार्यालय की सफलता को प्रोत्साहित करता है।

कार्यालय में सही वास्तु अनुपालन के माध्यम से एक संतुलित और मिलानसर कार्यस्थल बनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कार्यालय के कर्मचारियों के लिए सकारात्मक और सफलता भरा माहौल प्रदान कर सकता है, जो फिर से उत्साहित होकर काम करेंगे और संगठन के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेंगे।

इस लेख में, हमने विभिन्न विषयों पर चर्चा की है जैसे: –

• Vastu For Office 
Vastu Tips For Office
• What Is Vastu Shastra 

यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेझिझक हमसे संपर्क करें।

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धन्यवाद, नमस्कार
 VastuShiksha
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vastu for ofice - 5 वास्तु उपाय जो बनाएंगे आपके ऑफिस को बेहतर स्थान


वास्तु शास्त्र, हमारे कार्यालय या व्यवसायिक स्थल को सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का केंद्र बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय हो सकता है। यदि आपका कार्यालय सही तरह से डिज़ाइन नहीं किया गया है, तो आपके कर्मचारी और व्यवसाय की प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। 

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको बताएंगे "Vastu for office" के 5 अद्वितीय और प्रभावी उपाय, जिन्हें अपनाकर आप अपने कार्यालय को एक बेहतर स्थान में तब्दील कर सकते हैं। तो आइए, जानते हैं कैसे वास्तु के इन सरल सूत्रों का पालन करके हम अपने कार्य स्थल को पॉजिटिव और उत्कृष्ट बना सकते हैं।

vastu for office

I. परिचय

A. वास्तु शास्त्र की संक्षिप्त व्याख्या: 

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और इन्टीरियर डिज़ाइन के लिए मानव जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के उद्देश्य से डिज़ाइन की गई है। इसका मूख्य लक्ष्य आत्मा और प्राकृतिक ऊर्जा के साथ हमारे आसपास के पर्यावरण को हारमोनिक बनाना है।

B. कार्यालय स्थानों में वास्तु का महत्व: 

कार्यालय स्थानों में वास्तु का महत्व उसके व्यवसायिक सफलता पर प्रभाव डाल सकता है। एक शुभ कार्यालय डिज़ाइन और वास्तु के सिद्धांत विभिन्न प्रकार से कर्मचारियों के प्रदर्शन को बढ़ावा देते हैं, उनकी सामंजस्य को बढ़ावा देते हैं, और निगेटिविटी को कम करते हैं।

II. कार्यालय के लिए वास्तु सिद्धांत

A. कार्यालय स्थान का चयन:

1. स्थान के विचार: 

कार्यालय का स्थान वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, उपयुक्त स्थान का चयन करें, जिसमें आपके व्यवसाय के लिए सकारात्मक ऊर्जा की प्रवृत्ति हो।

2. कार्यालय भवन का आकार और ख़ाका: 

आपके कार्यालय के भवन का आकार और डिज़ाइन भी महत्वपूर्ण है। यहाँ, आकार, दिशा, और भवन के ख़ाका का ध्यान देना वास्तु सुझावों का हिस्सा है।

B. कार्यालय का प्रवेशद्वार

1. मुख्य प्रवेश की दिशा: 

कार्यालय के मुख्य प्रवेश की दिशा का वास्तु सिद्धांत महत्वपूर्ण है। आपके कार्यालय के प्रवेशद्वार की दिशा ऐसी होनी चाहिए जो सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और कार्यस्थल में सकारात्मक वातावरण बनाती है।

2. प्रवेशद्वार पर डिज़ाइन और सजावट: प्र

वेशद्वार के डिज़ाइन और सजावट को वास्तु सिद्धांतों के साथ मेल करना चाहिए। यह डिज़ाइन आकर्षक होने के साथ-साथ प्रवेश करने वालों की ध्यान को भी पकड़े और एक आलोकिक अनुभव प्रदान करे।

C. कार्यालय के आंतरिक्ष

1. कर्मचारियों के लिए आदर्श डेस्क स्थापना: 

कार्यालय के आंतरिक्ष का डिज़ाइन करते समय, कर्मचारियों के लिए आदर्श डेस्क स्थापना महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी अपने काम को सुखद और प्रभावी तरीके से कर सकते हैं और कार्यालय का वातावरण उनके लिए सामंजस्यपूर्ण हो।

2. रंग और सजावट का उपयोग: 

कार्यालय के आंतरिक्ष के रंग और सजावट का उपयोग भी वास्तु सिद्धांतों के साथ करना चाहिए। सही रंगों का चयन और सुझावित सजावट कार्यालय के वातावरण को पॉजिटिव और उत्कृष्ट बना सकता है, जो कर्मचारियों की उत्पादकता को बढ़ावा देता है।

D. कार्यस्थल और कैबिन

1. वास्तु-संगत डेस्क प्लेसमेंट: 

कार्यस्थल में वास्तु-संगत डेस्क प्लेसमेंट व्यक्तिगत और कल्याणकारी होती है। कर्मचारियों के डेस्क को सही दिशा में स्थापित करने से उनका काम और जीवन सुखद हो सकता है, जो उनकी उत्पादकता को बढ़ावा देता है।

2. कैबिनों और क्यूबिकल्स का स्थापन: 

कार्यालय में कैबिनों और क्यूबिकल्स की सही स्थापना भी महत्वपूर्ण है। यह उनकी निजीता और कार्य को व्यवस्थित तरीके से करने में मदद कर सकता है, और समृद्धि की ओर संकेत कर सकता है।

E. सम्मेलन और मीटिंग कमरे

1. सम्मेलन कक्षों के डिज़ाइन के सिद्धांत: 

सम्मेलन कक्षों का डिज़ाइन वास्तु सिद्धांतों के अनुसार करना चाहिए। इन कक्षों के डिज़ाइन में व्यक्तिगत और सामूहिक संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त स्थापना और व्यवस्था का ध्यान देना चाहिए।


2. बैठक कक्षों की कुर्सी की व्यवस्था: 

सम्मेलन और मीटिंग कक्षों में कुर्सी की सही व्यवस्था भी महत्वपूर्ण है। सही कुर्सियों का चयन और उनकी व्यवस्था सहमति और आरामदायक माहौल बनाने में मदद कर सकती है, जिससे सम्मेलन और मीटिंग कार्यों को सही ढंग से प्रवृत्त किया जा सकता है।

F. रिसेप्शन क्षेत्र

1. रिसेप्शन डेस्क की स्थापना: 

रिसेप्शन क्षेत्र के डेस्क की सही स्थापना महत्वपूर्ण है। यह डेस्क प्रावधानी और सुविधा के साथ सही दिशा में स्थित होनी चाहिए ताकि आगमन करने वाले व्यक्तियों का स्वागत संवाद के साथ हो सके।

2. रिसेप्शन क्षेत्र में सजावट और सीटिंग: 

रिसेप्शन क्षेत्र की आकर्षण और सजावट का महत्वपूर्ण होना चाहिए। यहाँ पर सुंदर सजावट और आरामदायक सीटिंग की व्यवस्था करना चाहिए ताकि आगमन करने वाले व्यक्तियों को एक पॉजिटिव और स्वागतमय अनुभव मिले।

III. कार्यालय उत्पादकता के लिए वास्तु सुझाव

A. सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना: 

कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए वास्तु सुझावों के अनुसार उपयुक्त रंगों, डिज़ाइन, और प्राकृतिक प्रकृतियों का उपयोग किया जा सकता है। यह कर्मचारियों की ऊर्जा और प्रदर्शन में सुधार कर सकता है।

B. नकारात्मकता और तनाव को कम करना: 

वास्तु सुझाव नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में मदद कर सकते हैं और तनाव को कम कर सकते हैं। उचित कॉरेक्शन्स और वास्तु-संगत डिज़ाइन कार्यालय के वातावरण को सुखद और स्वास्थ्यपूर्ण बना सकते हैं।


C. कर्मचारियों के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देना: 

वास्तु सुझाव आदर्श कार्यालय मिलनसर माहौल बनाने में मदद कर सकते हैं, जिससे कर्मचारियों के बीच सामंजस्य को बढ़ावा दिया जा सकता है। सही स्थान का चयन और योग्य स्थितियों का विचार करना कर्मचारियों के बीच समरसता और सामंजस्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

IV. कार्यालय में वास्तु गलतियां

A. गलतियों की पहचान और सुधारने के लिए: 

कार्यालय में वास्तु गलतियों को पहचानने और सुधारने के लिए, आपको एक वास्तु विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए। वास्तु सुझावों का पालन करते समय आपको गलतियों को सही करने के उपायों को भी जानना चाहिए।

B. पहले और बाद के वास्तु सुधारों के केस स्टडी: 

कार्यालय में वास्तु सुधार के पहले और बाद के स्थितियों के केस स्टडी करना महत्वपूर्ण हो सकता है। यह आपको वास्तु सुधार के प्रभाव को समझने में मदद करेगा और कार्यालय में सकारात्मक बदलाव की प्रक्रिया को समर्थन करेगा।

V. मौजूदा कार्यालयों के लिए वास्तु उपाय

A. मौजूदा कार्यालय को वास्तु सिद्धांतों के साथ मेल करने के लिए प्रैक्टिकल सुझाव: 

मौजूदा कार्यालय को वास्तु सिद्धांतों के साथ मेल करने के लिए, आपको कुछ प्रैक्टिकल सुझावों का पालन करना चाहिए, जैसे कि सही डिज़ाइन, रंगों का उपयोग, और स्थान की सफाई और संरचना का सुधार।

B. सरल उपाय: 

मौजूदा कार्यालय को वास्तु सुधार के लिए सरल उपाय भी अच्छे हो सकते हैं। इसमें स्थान की व्यवस्था, दिशा का मूल्यांकन, और कार्यस्थल की सफाई शामिल हो सकती है।

इस लेख में, हमने विभिन्न विषयों पर चर्चा की है जैसे:

• Vastu For Office 
• वास्तु शास्त्र की संक्षिप्त व्याख्या
• सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना
• रिसेप्शन डेस्क की स्थापना

यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेझिझक हमसे संपर्क करें।

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धन्यवाद, नमस्कार
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Vastu Tips For Home - घर को बनाएं समृद्ध इन वास्तु नियमो के साथ

नमस्ते दोस्तों!  स्वागत है आपका हमारे Vastu Tips For Home के नए पोस्ट में  क्या आपका घर आपकी आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए तैयार है? हम सभी जानते हैं कि घर हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, लेकिन क्या आपको यह पता है कि आपके घर की साकारात्मकता को बढ़ाने में vastu shastra की कृपा भी हो सकती है? 

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं "घर की समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए  vastu Tips for home"। आइए जानते हैं कैसे अपने घर को पूरी तरह से सकारात्मकता और समृद्धि से भर दें, और उसे एक आर्थिक उत्तराधिकारी बनाएं।

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I. परिचय

आजकल की भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में, हम सभी चाहते हैं कि हमारा घर एक ऐसी स्थान हो जो हमें शांति, सुख, और समृद्धि का आभास कराए। यहाँ पर vastu shastra  आपके साथ है, जो आपके घर को सकारात्मकता और समृद्धि से भरने में मदद कर सकता है। vastu shastra  का अद्भुत विज्ञान हमें घर की सुख-शांति और धन की ऊर्जा को बढ़ाने के तरीके सिखाता है। यह नहीं केवल आस-पास की वातावरण को बल्कि हमारे आत्मा को भी प्रेरित करता है कि हम अपने घर को आदर्श रूप से व्यवस्थित करें और समृद्धि के मार्ग में बढ़ें।

A. vastu shastra का महत्व

vastu shastra  हमारे जीवन में उपायों की प्राकृतिक तकनीकों का एक समृद्ध खजाना है। यह शास्त्र हमें यह बताता है कि कैसे हम अपने घर की दिशाओं, स्थानों, और उपकरणों को सही तरीके से व्यवस्थित करके सकारात्मकता और समृद्धि की ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं

B. समृद्धि के लिए Vastu Tips की आवश्यकता

जीवन में हम सभी चाहते हैं कि हमारा प्रत्येक कदम सकारात्मकता और समृद्धि की ओर बढ़े। यहाँ vastu tips आपके घर को सकारात्मक ऊर्जा से भरने में मदद करती हैं, जिससे कि आपके पास समृद्धि की ऊर्जा आकर्षित हो सके। यह आपके घर को एक सुखमय और समृद्ध जीवन की दिशा में प्रेरित करता है।

इस प्रविष्टि में, हम vastu tips के माध्यम से कैसे अपने घर की समृद्धि को बढ़ा सकते हैं, इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे

घर का मुख्य द्वार - Vastu Tips

A. मुख्य द्वार की सही दिशा

घर के मुख्य द्वार की सही दिशा महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह घर के प्रवेश का मार्ग होता है और समृद्धि की ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करता है। vastu shastra  के अनुसार, दक्षिण दिशा का मुख्य द्वार खुलने वाले द्वार को धन समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है। यह उचित दिशा में मुख्य द्वार आपके घर में सकारात्मकता और धन की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है।

B. आकर्षण और समृद्धि के लिए द्वार पर ध्यान

घर के मुख्य द्वार का निर्माण आकर्षण और समृद्धि की ऊर्जा को बढ़ावा देने वाले तत्वों के साथ करना चाहिए। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण टिप्स हैं जिनका पालन करके आप अपने मुख्य द्वार को आकर्षक बना सकते हैं:

  • द्वार पर सुंदर दीपक रखने से सकारात्मकता की ऊर्जा बढ़ती है।
  • द्वार के आसपास पौधों और फूलों को रखने से प्राकृतिक आकर्षण बढ़ता है।
  • द्वार के ऊपर सुंदर अंगने को स्थापित करने से समृद्धि और सुख की ऊर्जा बढ़ती है।

इस खंड में, हमने देखा कि कैसे घर के मुख्य द्वार को सही दिशा में खोलकर आकर्षण और समृद्धि की ऊर्जा को अपने घर में आने दिया जा सकता है। आगे हम देखेंगे कि कैसे और कहाँ vastu tips का पालन करके घर की समृद्धि को और भी बढ़ावा दिया जा सकता है।

धन को आकर्षित करने के Vastu Tips

A. धन को बढ़ाने वाले पौधे

घर में धन को आकर्षित करने के लिए vastu shastra में कई पौधों के महत्व का उल्लेख है। कुछ पौधे धन की ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और घर में सकारात्मकता बढ़ाते हैं। जैसे कि, घर के दक्षिण-पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा रखने से धन की वृद्धि होती है। भगवान विष्णु के आदर्श रूप के रूप में तुलसी को पूजने से धन की प्रवृत्ति बढ़ती है।

B. धन क्षेत्र में वास्तु के अनुसार प्रयास

धन क्षेत्र को वास्तु के अनुसार समृद्धि की ऊर्जा से बाढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय होते हैं। यहाँ कुछ vastu tips हैं जो आपके धन क्षेत्र को सकारात्मकता से भर सकते हैं:

  • धन क्षेत्र में अपने पूजा स्थल को विशेष रूप से सजाकर रखें।
  • धन क्षेत्र में सुंदर और प्रेरणादायक चित्र या तस्वीरें लगाएं, जो धन की ऊर्जा को बढ़ावा देती हैं।
  • धन क्षेत्र के पूरे विस्तार में सकारात्मक आवाजों का प्रवाह बनाने के लिए प्रयास करें।
  • धन क्षेत्र में उत्तर-पूर्व दिशा में एक सुंदर जाल या आभूषण प्रदर्शित कर सकते हैं, जो आकर्षित धन की ऊर्जा को बढ़ावा देता है।

इस भाग में, हमने देखा कि कैसे vastu tips के माध्यम से धन को आकर्षित करने के उपाय को समझा गया है। आगे बढ़ते समय, हम देखेंगे कि कैसे वास्तु के और भी विभिन्न पहलुओं से घर की समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता है

स्वर्ण और वास्तु

A. स्वर्ण के सही स्थान

vastu shastra के अनुसार, स्वर्ण को सही स्थान पर रखने से घर में समृद्धि और धन की ऊर्जा बढ़ सकती है। यह आपके घर की आर्थिक स्थिति को मजबूती से कर सकता है। स्वर्ण को पूजा स्थल, धन क्षेत्र या आकर्षण क्षेत्र में रखने से यह और भी सकारात्मक परिणाम देता है।

B. धन और समृद्धि के लिए स्वर्ण का उपयोग

स्वर्ण को धन और समृद्धि की प्रतीक माना जाता है, और इसका उपयोग vastu shastra  के अनुसार किया जा सकता है ताकि घर में सकारात्मक आर्थिक ऊर्जा का संचार हो। स्वर्ण के आकर्षण क्षेत्र में चीजों को रखने से घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है और समृद्धि की प्रवृत्ति हो सकती है।

इस खंड में, हमने स्वर्ण के सही स्थान और धन-समृद्धि के लिए स्वर्ण के उपयोग की महत्वपूर्ण vastu tips को विस्तार से जाना। आगे बढ़कर हम यह देखेंगे कि कैसे अन्य आवश्यक क्षेत्रों में भी वास्तु के प्राचीन सिद्धांतों का उपयोग करके घर की समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता है।

किचन और भोजन क्षेत्र - Vastu Tips

A. रसोई का सही स्थान

vastu shastra  के अनुसार, रसोई का सही स्थान घर के धन और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। रसोई को दक्षिण-पूर्व या अग्नि कोण में स्थापित करने से भोजन की ऊर्जा और स्वास्थ्य दोनों में सुधार हो सकता है। वास्तु के अनुसार, रसोई का उपयुक्त व्यवस्थित होना भी महत्वपूर्ण है ताकि भोजन की तैयारी में सुख और समृद्धि की ऊर्जा बरकरार रहे।

B. भोजन क्षेत्र में वास्तु ध्यान

भोजन क्षेत्र भी वास्तु के अनुसार सजाया जाना चाहिए ताकि भोजन की ऊर्जा का संचार सही तरीके से हो सके। वास्तु के अनुसार, भोजन क्षेत्र का सही दिशा में स्थान और साफ-सुथरा वातावरण बनाने से भोजन की सुख-शांति और समृद्धि की ऊर्जा बढ़ सकती है।

इस खंड में, हमने देखा कि कैसे vastu tips के माध्यम से किचन और भोजन क्षेत्र को सकारात्मकता और समृद्धि से भरने के लिए सही तरीके से व्यवस्थित किया जा सकता है। आगे बढ़कर हम देखेंगे कि कैसे अन्य क्षेत्रों में भी वास्तु के अनुसार व्यवस्था करके घर की समृद्धि को और भी बढ़ावा दिया जा सकता है।

स्वच्छता और सुख-शांति

A. घर की स्वच्छता का महत्व

vastu shastra  में स्वच्छता का महत्व अत्यधिक माना जाता है। घर की स्वच्छता और व्यवस्थितता के बिना सकारात्मकता और सुख-शांति की ऊर्जा का संचार संभव नहीं होता। स्वच्छ और सुथरे घर में शांति की वातावरण बनी रहती है और समृद्धि की ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद मिलती है।

B. सुख-शांति के लिए वास्तु सुझाव

vastu shastra  के अनुसार, सुख और शांति की ऊर्जा को अपने घर में बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण vastu tipsहैं जो आपके घर को सुख-शांति से भर सकते हैं:

  • घर के मुख्य द्वार के पास एक शुभ वातावरण बनाने के लिए पौधे रखें।
  • पूजा स्थल को शांति और सकारात्मकता की ऊर्जा से भरने के लिए सजाएं।
  • घर के प्रमुख क्षेत्रों में प्राकृतिक प्रकार के आकर्षण के तत्व जैसे कि फूल, चित्र आदि का उपयोग करें।
  • घर के अंदर के और बाहर के आकर्षण क्षेत्रों की सुव्यवस्थितता और सजगता की देखभाल करें।

इस खंड में, हमने देखा कि कैसे स्वच्छता और सुख-शांति के महत्व को समझकर vastu tips का पालन करके घर की पूर्णता को बढ़ावा दिया जा सकता है। यह आपके घर में पूरी तरह से सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करेगा और

ध्यान और पॉजिटिविटी

A. मेडिटेशन और योग के सही स्थान

vastu shastra के अनुसार, आध्यात्मिकता और मानसिक शांति को बढ़ावा देने के लिए घर में ध्यान और योग के सही स्थान का महत्व होता है। आपके घर में एक साक्षात्कार या मेडिटेशन का क्षेत्र बनाने से आपका मानसिक स्वास्थ्य और सकारात्मकता में सुधार हो सकता है।

B. मानसिक शांति और समृद्धि के लिए ध्यान


vastu shastra  में ध्यान और मानसिक शांति को बढ़ावा देने के लिए कुछ विशेष उपाय दिए गए हैं। यह उपाय आपके मानसिक तंत्र को शांति और सकारात्मकता की ओर आग्रहित कर सकते हैं:

  • घर में ध्यान या प्रार्थना का एक विशेष स्थल बनाएं और उसे सुखद और शांत बनाएं।
  • आपके ध्यान क्षेत्र को प्राकृतिक तत्वों से सजाएं, जैसे कि ध्यान आपकी आत्मा को प्रकृति से जोड़ेगा।
  • ध्यान का प्रैक्टिस रोजाना करने से आपका मानसिक स्वास्थ्य सुधार सकता है और सकारात्मकता में वृद्धि हो सकती है।

इस खंड में, हमने देखा कि कैसे ध्यान और पॉजिटिविटी के महत्व को समझकर vastu tips for home का पालन करके आप अपने घर में मानसिक शांति और समृद्धि की ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं। 

इसके साथ ही, हमने विभिन्न क्षेत्रों में vastu tips for home के माध्यम से घर की सकारात्मकता और समृद्धि को कैसे बढ़ावा देने का जानकारी प्राप्त किया हैं।

इस लेख में, हमने विभिन्न विषयों पर चर्चा की है जैसे: –

• Vastu For home
• वास्तु शास्त्र की संक्षिप्त व्याख्या
• सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना

यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेझिझक हमसे संपर्क करें।

और यदि आप ऐसे ही और ब्लॉग पोस्ट पढ़ना चाहते हैं तो इस लिंक VASTU SHASTRA को फॉलो करें 
 
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Vastu Tips For Home - ये वास्तु नियम बनाएंगे आपके बैडरूम को बेहतर

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है जो हमारे जीवन को सकारात्मकता और समृद्धि से भरने के लिए उपयोगी सिद्धांतों का पालन करता है। यह न केवल हमारे घर के निर्माण में महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे बेडरूम को भी सकारात्मक ऊर्जा से भरने में मदद करता है। 

बेडरूम, हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें आराम और शांति की अनुभूति करने का स्थान प्रदान करता है। इस blog post में, हम आपको बताएंगे कि कैसे आप वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करके अपने बेडरूम को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते हैं और उसे एक प्रेमभरे और शांतिपूर्ण स्थान में बदल सकते हैं।

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बेडरूम का सही स्थान और दिशा

A) मुख्य दिशाएँ और उनका महत्व:

बेडरूम की सही दिशा वास्तुशास्त्र में महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इसका सीधा प्रभाव हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। पश्चिम और उत्तर मुख की दिशा में बनाए गए बेडरूम सकारात्मकता और सुख-शांति की भावना को बढ़ावा देते हैं।

B) बेडरूम की स्थान चुनाव में बातचीत: 

बेडरूम की स्थान चुनते समय परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। बच्चों के लिए विशेष खेलने और पढ़ाई करने के स्थान का विचार करें, साथ ही वयस्कों के लिए विश्राम और मानसिक शांति की जगह भी तय कर

बेड के लिए वास्तु टिप्स


A) उचित स्थिति और दिशा:

बेड की सही स्थिति और दिशा का पालन करने से निद्रा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। बेड को ऐसे स्थान पर रखें जिससे सुबह सूर्य की किरनें सीधे आपके चेहरे पर पड़ सकें और सुबह की ऊर्जा को अपने साथ लाएं।


B) डबल या सिंगल बेड का चयन:

बेड के चयन में आपकी प्राथमिकताओं और बेडरूम के आकार का ध्यान रखें। यदि बेडरूम कम आकार का है, तो सिंगल बेड का चयन करें ताकि आपके पास अधिक स्थान हो सके। विशेष मामूली दिशा में डबल बेड का चयन करना उपयुक्त हो सकता है।


C) बेड के नीचे स्टोरेज का उपयोग: 

बेड के नीचे स्टोरेज का उपयोग करके आप बेडरूम में अतिरिक्त स्थान बना सकते हैं और बेडरूम को स्वच्छ और संगठित रख सकते हैं। यह स्थान आपके कपड़ों, पुस्तकों, और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए भी उपयोगी हो सकता है।

इस तरह से, एक उचित वास्तु दृष्टिकोन से बेड का सही स्थान और उचित चयन करके आप अपने बेडरूम को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते हैं और सामग्री को सुव्यवस्थित रख सकते हैं।

रंग और आवाज़ का प्रभाव

A) शांति और सुख के लिए उपयुक्त रंग:

बेडरूम के रंग का चयन आपके भावनात्मक स्थिति पर प्रभाव डाल सकता है। नीला, हरा और सफेद रंग शांति और सुख की भावना पैदा करने में मदद कर सकते हैं। आवासीय और शांतिपूर्ण वातावरण बनाने के लिए इन रंगों का अद्यतन करें।

B) आवाज़ के प्रभाव परिवारिक सुख-शांति पर: 

बेडरूम में आवाज़ का महत्वपूर्ण भूमिका होता है। आपके बेडरूम की शांति को बिगाड़ सकते हैं उच्च और अनावश्यक ध्वनियाँ। सुखद और प्रसन्न आवाज़, जैसे कि म्यूजिक या पुस्तकों की पढ़ाई की आवाज़, परिवार में सुख-शांति की भावना को बढ़ावा देते हैं।

अपने बेडरूम के रंग और आवाज़ का सही चयन करके, आप उसे एक सकारात्मक और प्रारंभिक वातावरण में बदल सकते हैं जो परिवारिक सुख-शांति की भावना को प्रोत्साहित करेगा।

प्रकाश और हवा का प्रवाह

A) बेडरूम में प्राकृतिक प्रकाश का महत्व:

बेडरूम में प्राकृतिक प्रकाश का प्रवाह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकता है। प्राकृतिक प्रकाश द्वारा बेडरूम की ऊर्जा सकारात्मक बनती है और मनोबल को बढ़ावा देती है।

B) शुभ हवा का प्रवाह सुनिश्चित करने के उपाय: 

उचित वायुमंडल और हवापन में सुधार करने से आप बेडरूम में उच्च गुणवत्ता की हवा को प्राप्त कर सकते हैं। अच्छी वेंटिलेशन के लिए खिड़कियों का सही ढंग से प्रबंधन करें ताकि ताजगी आते रहे और वायुमंडल स्वच्छ रहे। पेड़-पौधों को बेडरूम में रखकर भी प्राकृतिक आवाज़ और ऊर्जा को बढ़ावा दें।

यथासंभाव, बेडरूम में प्राकृतिक प्रकाश को अपने अंदर लाने और शुभ हवा का प्रवाह सुनिश्चित करने से आप आत्मा को शांति और सकारात्मकता की भावना प्रदान कर सकते हैं।

वास्तु-दोषों का समाधान


A) वास्तु दोषों की पहचान और उनका समाधान: 

अगर आपके बेडरूम में वास्तु दोष हैं, तो उनकी पहचान करके उन्हें समाधान करना महत्वपूर्ण है। दरवाजों, खिड़कियों, और बेड के स्थान को वास्तुशास्त्र के तरीकों से सुधारने का प्रयास करें। यदि आपको यह कठिन लगता है, तो वास्तु विशेषज्ञ की मदद लें।

B) उपयुक्त वास्तु यंत्रों का उपयोग: 

वास्तु यंत्र और उपकरण वास्तुशास्त्र में दिए गए निर्देशों का पालन करने में मदद कर सकते हैं। श्री यंत्र, प्य्रामिड, दिशा सूचक यंत्र, आदि का उपयोग करके आप नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकते हैं और सकारात्मकता को बढ़ावा दे सकते हैं।

वास्तु-दोषों का समाधान करके, आप अपने बेडरूम की ऊर्जा को सुधारकर उसे सकारात्मक और प्रारंभिक बना सकते हैं, जो आपके और आपके परिवार के जीवन को सुखमय बना सकता है। 

खास टिप्स और सावधानियाँ


A) इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का सही स्थान: 

आधुनिक जीवन में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन उन्हें सही स्थान पर रखना भी जरूरी है। बेडरूम में टेलीविजन, मोबाइल फोन या कंप्यूटर की स्थान पर ध्यान देना चाहिए। यदि आप इन उपकरणों को सही स्थान पर नहीं रखते हैं, तो यह आपके सुख-शांति को प्रभावित कर सकता है। सुनिश्चित करें कि आप इन उपकरणों को बेडरूम के कोने या छोटे बॉक्स में नहीं रखते हैं, ताकि आपकी नींद और आत्मा को शांति मिल सके।

                             अधिक पढ़ें: Vastu shastra kya hai – इसके 4 मुख्य फायदे, नियम….

B) बेडरूम में किन वस्तुओं का नहीं होना चाहिए: 

बेडरूम में कुछ वस्तुएं नहीं होनी चाहिए जो आपकी नींद और शांति को प्रभावित कर सकती हैं। यहाँ कुछ ऐसी वस्तुएं हैं जिन्हें बेडरूम में नहीं रखना चाहिए:

1. व्यावसायिक उपकरण: आपके बेडरूम में काम के संबंधित उपकरण नहीं होने चाहिए।
2. व्यायाम सामग्री: व्यायाम सामग्री को बेडरूम में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह शांति को प्रभावित कर सकता है।
3. अत्यधिक परिपर्णता: बेडरूम में अधिक परिपर्णता रखने से आपकी शांति प्रभावित हो सकती है।

C. शांति और सुकून के लिए मेडिटेशन और पॉजिटिव एफर्मेशन: 

बेडरूम को शांति और सुकून की जगह बनाने के लिए मेडिटेशन और पॉजिटिव एफर्मेशन का महत्व है। रात को सोने से पहले मेडिटेशन करना और सकारात्मक विचारों को अपने मन में प्राथमिकता देना, आपकी नींद को गहराई से बढ़ावा देगा। पॉजिटिव एफर्मेशन के माध्यम से आप अपने जीवन को सकारात्मकता से भर सकते हैं और चिंताओं से मुक्त हो सकते हैं।

इन खास टिप्स और सावधानियों का पालन करके आप अपने बेडरूम को एक सकारात्मक और प्राकृतिक आत्माविश्वास से भरा हुआ महसूस कर सकते हैं, जिससे आपकी नींद और आत्मा को शांति मिलेगी।


इस लेख में, हमने विभिन्न विषयों पर चर्चा की है जैसे: –

• Vastu For Home 
• वास्तु शास्त्र की संक्षिप्त व्याख्या
• वास्तु दोषों की पहचान और उनका समाधान
• बेडरूम में किन वस्तुओं का नहीं होना चाहिए

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Vastu Tips For Home - इन वास्तु नियम से रसोई को बनाये बेहतर

आपका स्वागत है VASTU SHASTRA के साथ जुड़े हुए आपके रसोई में! रसोई, घर का हृदय होते हुए, परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस लेख में, हम कुछ मूल्यवान Vastu Tips जानेंगे जो आपके रसोई को सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि से भर देंगे।"

आजकल के व्यस्त और अधोगति से भरे जीवन में, आपके घर का रसोई एक ऐसा स्थान है जो आपके स्वास्थ्य, सुख, और समृद्धि का प्रमुख आधार होता है। रसोई वह स्थान है जहां आपके परिवार के सभी सदस्य एक साथ खुशियों से भरी भोजन का आनंद लेते हैं। 

VASTU SHASTRA में रसोई को आपके जीवन में शुभता और सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको रसोई के लिए VASTU TIPS बताएंगे, जो आपके घर को सकारात्मकता और समृद्धि से भर देंगे।

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परिचय

A) रसोई का महत्व और VASTU SHASTRA में इसका महत्व

VASTU SHASTRA के अनुसार, रसोई का सही वास्तुशास्त्र के अनुसार निर्माण और सजावट करने से घर के शुभ और अशुभ ऊर्जाओं को संतुलित किया जा सकता है। सही दिशा में स्थापित रसोई आपके घर में सकारात्मकता, समृद्धि, और आनंद का वातावरण बनाती है।

B) रसोई के लिए सकारात्मक वास्तु के लाभ

1. धन समृद्धि: रसोई में वास्तु के अनुसार गैस स्टोव और सिंक की सही दिशा से आपके घर में धन की वृद्धि हो सकती है।


2. स्वास्थ्य और खुशियाँ: VASTU SHASTRA के अनुसार सजीव वस्तुओं के सही स्थान पर रखने से रसोई में खुशियों और स्वास्थ्य की वृद्धि हो सकती है।


3. आनंदपूर्ण परिवारीक समय: एक सकारात्मक रसोई आपके परिवार को एक साथ आनंदपूर्वक भोजन का समय बिताने में मदद करती है।


4. समृद्धि और सम्पन्नता: शुद्ध और सकारात्मक रसोई से आपके घर में समृद्धि और सम्पन्नता की ऊर्जा बढ़ती है।

Vastu Tips For kitchen (रसोई के लिए Vastu Tips)


1. रसोई का सही स्थान: दिशा और स्थान चयन: रसोई को घर के उच्चांश दिशा (पूर्व या दक्षिण-पूर्व) में स्थापित करने से सृष्टि की ऊर्जा आसानी से उसमें संकुचित नहीं होती। यह सभी देवी-देवताओं की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे शुभ स्थान माना जाता है।

2. रसोई के लिए वास्तु रंग चयन: रसोई में वास्तु रंगों का उपयोग करने से उसकी ऊर्जा बनी रहती है और भोजन तैयार करने में खुशियाँ आती हैं। आपको शुभ और उत्तेजक रंगों जैसे कि हरा और नारंगी का उपयोग करना चाहिए।

3. रसोई में गैस स्टोव और सिंक की सही दिशा: रसोई में गैस स्टोव और सिंक को उच्चांश दिशा (पूर्व या दक्षिण-पूर्व) में स्थापित करने से भोजन की ऊर्जा अधिक सकारात्मक बनती है। स्टोव और सिंक के बीच आपको एक बढ़िया आपसी संवाद और सहयोग का माहौल बनाना चाहिए।

4. रसोई के लिए वास्तुशास्त्रीय उपकरण और उनका स्थान: रसोई में वास्तुशास्त्रीय उपकरण जैसे कि छलनी, कटोरी, बर्तन, आदि को सही स्थान पर रखने से भोजन की प्रक्रिया आसान और सुखद बनती है। ध्यान देने योग्य स्थान और अच्छे उपकरण रसोई की व्यवस्था को बेहतर बनाते हैं।

रसोई का वास्तु उपकरण और उनकी उपयोगिता


A) वास्तु से समृद्धि के लिए अच्छे रसोई उपकरण:

1. छलनी: Vastu Shastra के अनुसार, स्वच्छ और सुखद रसोई में अच्छी छलनी का उपयोग भोजन बनाने में खुशियों को और ऊर्जा को बढ़ाता है।


2. प्रेशर कुकर: Vastu Shastra के अनुसार, प्रेशर कुकर रसोई के लिए एक शुभ उपकरण है जो भोजन की गति को बढ़ाता है और खाने की उत्तम रचना बनाने में मदद करता है।


3. आटा गूंथने की मशीन: Vastu Shastra के अनुसार, आटा गूंथने की मशीन रसोई में समृद्धि और उत्तेजना को बढ़ाती है। इससे आपके घर में आर्थिक संबंध बने रहते हैं।


4. जुलाब: रसोई में Vastu Shastra के अनुसार एक सुंदर और प्रकृतिक रूप में बने हुए जुलाब रसोई की समृद्धि को बढ़ाते हैं और भोजन का समय खुशहाल बनाते हैं।

B) पानी से जुड़े Vastu Tips और फॉर्मूले:

1. जल स्थान: रसोई में नल स्थान को Vastu Shastra के अनुसार उच्चांश दिशा (उत्तर या ईशान्य) में स्थापित करना चाहिए। इससे पानी का उपयोग वितरण में आसानी होता है और रसोई की ऊर्जा सकारात्मक होती है।


2. जल संयोजन: रसोई में जल संयोजन विधि का पालन करने से रसोई की ऊर्जा बनी रहती है और आपके घर में समृद्धि की ऊर्जा आती है। पानी को उच्चांश दिशा से बाहर बहाने या छोटे वापस जल संयोजन विधि का पालन करने से उसकी ऊर्जा खराब होती है।

रसोई की स्वच्छता और सजावट


A) रसोई की स्वच्छता में वास्तु दिशा निर्देश:

1. ध्वनि शुद्धि: रसोई में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यहां ध्वनि शुद्धि के लिए भी वास्तु नियम हैं। अधिक शोरगुल वाले यंत्रों को ध्वनि से दूर रखें ताकि भोजन का विरामपूर्व आनंद लिया जा सके।


2. अच्छी रविद्रव्य व्यवस्था: रसोई में अच्छी रविद्रव्य व्यवस्था का ध्यान रखना चाहिए। उपयुक्त छलनी और नल के साथ स्वच्छता को बनाए रखने से रसोई ऊर्जा सकारात्मक बनती है।


3. स्वच्छता का ध्यान: रसोई में स्वच्छता का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। रसोई के उपकरणों को नियमित रूप से साफ़ करें और अच्छी तरह से सजाकर रखें। एक स्वच्छ रसोई से रोजमर्रा के भोजन में खुशियाँ बढ़ती हैं।

B) रसोई को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए Vastu Tips:


1. रंगों का उपयोग: रसोई में सुंदर रंगों का उपयोग करके आप उसे आकर्षक बना सकते हैं। Vastu Shastra के अनुसार, हरा और नारंगी रंग रसोई के लिए शुभ होते हैं।


2. प्राकृतिक तत्व: रसोई में प्राकृतिक तत्वों जैसे पौधे, फूल, और प्रकृतिक धातुओं का उपयोग करने से उसे आकर्षक बनाया जा सकता है।


3. समीचीनता: रसोई में समीचीनता बनाए रखने से उसका सजावटी अलंकरण बेहतर दिखता है। उपयुक्त रसोई उपकरणों को समीप स्थान देने से आपका रसोई विशेष दिखेगा।

अलमारी और संरचना


A) रसोई अलमारी का सही स्थान और VASTU SHASTRA के अनुसार उपयोग:

1. उच्च स्थान: रसोई अलमारी को उच्च स्थान पर स्थापित करना Vastu Shastra के अनुसार शुभ होता है। इससे रसोई का सम्मान बढ़ता है और अधिक समग्र दृश्य प्रदान करता है।


2. रंग और वस्त्र: रसोई अलमारी के वस्त्र और रंग को ऐसे चुनें जो रसोई के वातावरण से मेल खाते हैं। जैसे भूरे या हल्के रंग के वस्त्र और रसोई के रूपांतरण में मदद करते हैं।


3. उपयोग की आसानी: रसोई अलमारी में उपयुक्त संरचना को ध्यान में रखते हुए उसे आसानी से उपयोग करना चाहिए। अलमारी के स्थान चयन और उसमें रखे गए वस्त्र और उपकरणों को सुव्यवस्थित करना शुभ होता है।

B) रसोई के लिए वास्तु संरचना की महत्वपूर्ण टिप्स:

1. आरामदायक योजना: रसोई को आरामदायक बनाने के लिए उचित संरचना का ध्यान रखना चाहिए। रसोई आरामदायक होने पर आपका भोजन बनाने में आनंददायक अनुभव होगा।


2. समान्य सुविधाएँ: रसोई में आवश्यक समान्य सुविधाएँ जैसे कि पानी का नल, सिंक, गैस स्टोव, और रखने के लिए अलमारी को उचित रूप से संरचित करना चाहिए।


3. स्वच्छता और व्यवस्था: रसोई में Vastu Shastra के अनुसार स्वच्छता का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। आपके रसोई उपकरणों को सुव्यवस्थित रखकर उसे सुंदर और आकर्षक बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष

VASTU FOR KITCHEN  के सिद्धांतों को अपनाकर आपकी रसोई घर में सद्भाव और आनंद को बढ़ाने में सक्षम होगी, जिससे वह समृद्धि और सकारात्मकता का एक केंद्र बनेगी। आपकी रसोई न केवल स्वादिष्ट खाना बनाने की जगह होगी, बल्कि यहां आप यादें बनाएँगे और संतुष्टि का समय बिताएँगे। खुशबूदार पकवान और समृद्धि से भरी रसोई के साथ बनाएं खुशहाल और समृद्ध जीवन! "

इस लेख में, हमने विभिन्न विषयों पर चर्चा की है जैसे: –

• Vastu For Home 
• Vastu for kitchen
• वास्तु शास्त्र की संक्षिप्त व्याख्या
•  रसोई के लिए वास्तु संरचना की महत्वपूर्ण टिप्स

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Vastu Tips For Home - वास्तु दोषों के 40 प्रकार जिन्हे जानना है जरूरी

वास्तु शास्त्र, हमारे जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि को बढ़ाने का विज्ञान है, जो एक व्यापक दृष्टिकोन से घर और उसके निकट स्थानों की समृद्धि को संतुलित करता है। एक शुभ और सकारात्मक घर वास्तु दोषों से मुक्त होता है और प्राकृतिक ऊर्जा को आकर्षित करता है। 

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको 40 प्रकार के वास्तु दोषों के बारे में बताएंगे जिन्हे जानना आवश्यक है। इन उपयुक्त वास्तु टिप्स का पालन करके आप अपने घर को सकारात्मकता से भर सकते हैं और समृद्धि को आकर्षित कर सकते हैं।

vastu tips for home


वास्तु दोष एक प्राचीन वास्तु शास्त्रीय विज्ञान है जिसमें घर या बिल्डिंग की संरचना और इसके निकट स्थानों के साथ उनके उपयोग से संबंधित विभिन्न प्रकार के दोषों का मापन किया जाता है। यह दोष बाह्य और आंतरिक दोनों हो सकते हैं। कुछ प्रमुख वास्तु दोषों के नाम निम्नलिखित हैं:


1. ब्रह्मस्थान दोष: इस दोष में घर या बिल्डिंग का मध्य खुला छोड़ा रहता है, जिससे पृथ्वी की ऊर्जा नष्ट होती है।


2. दक्षिणपश्चिम दोष: इस दोष में दक्षिणपश्चिम कोने में कटिंग होती है, जो धन सम्बंधी समस्याओं का कारण बन सकती है।


3. उत्तर-पूर्व दोष: इस दोष में उत्तर-पूर्व कोने में कटिंग होती है, जिससे धान्य सम्बंधी समस्याएं आ सकती हैं।


4. विदेशी दोष: इस दोष में घर के निकट विदेशी वस्तुएं होती हैं, जो संतान सम्बंधी समस्याओं का कारण बन सकती हैं।


5. शरीरिक दोष: इस दोष में घर की निर्माण संरचना या स्थान के अनुकूल न होने से आरोग्य सम्बंधी समस्याएं हो सकती हैं।


6. वास्तु निषेध दोष: इस दोष में घर के अंदर आनुवंशिक गुण वाले पेड़-पौधे नहीं लगाने से परिवार के सदस्यों के बीच विवाद हो सकते हैं।

                 अधिक पढ़ें:  15+ सरल और प्रभावी उपाय आपके घर को आनंदमय ...

7. विभाजन दोष: इस दोष में घर या बिल्डिंग के रूम को गलत तरीके से विभाजित करने से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


8. सरकारी दोष: इस दोष में घर या बिल्डिंग का निकटतम राजकीय संस्थान होने से वित्तीय समस्याएं हो सकती हैं।


9. सूर्य की दोष: इस दोष में सूर्य की किरणें घर के अंदर नहीं आती हैं, जो रोग-संबंधी समस्याएं पैदा कर सकती हैं।


10. आयुर्वेद दोष: इस दोष में घर या बिल्डिंग के आसपास काले रंग की दीवारें रहती हैं, जो रोग-संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं।


11. दरवाज़े की दोष: घर के मुख्य द्वार के उच्च या मध्य भाग में विकृति होने से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


12. अंगण का दोष: घर के आंगण या बाहरी स्थान में गंदगी या रखरखाव की कमी होने से घर में उत्साह की कमी हो सकती है।


13. बाथरूम का दोष: घर में बाथरूम या टॉयलेट की दिशा या स्थान में दोष होने से स्वास्थ्य और धन की समस्याएं हो सकती हैं।


14. वास्तु शिल्पी दोष: घर के निर्माण में वास्तु शिल्पी द्वारा उद्दीप्त न करने से दोष हो सकता है, जो समस्याएं पैदा कर सकता है।


15. चौराहे का दोष: घर में आने वाले चौराहे या चौकोर में दोष होने से वार्तालाप में कठिनाईयाँ हो सकती हैं।


16. ध्वज दोष: घर में गलत तरीके से स्थापित ध्वज या पताका होने से धन-संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।


17. वास्तु यंत्रों का दोष: वास्तु यंत्रों के बिना या गलत स्थान पर उनका उपयोग करने से सकारात्मकता में कमी हो सकती है।


18. वास्तु सामग्री का दोष: घर में अशुभ वास्तु सामग्री का संग्रह करने से घर की ऊर्जा को नकारात्मक बनाएं रख सकता है।


19. दीवारों का दोष: घर की दीवारों में टूट, कटौती या उद्दीप्त होने से वार्तालाप में कठिनाईयाँ हो सकती हैं।


20. विद्युतीय आवाज़ का दोष: घर में अनावश्यक विद्युतीय आवाज़ या इलेक्ट्रॉमैग्नेटिक रेडिएशन होने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।


21. पानी स्त्रोत का दोष: घर के निकटवर्ती पानी स्त्रोत (जैसे कि नदी, नहर, नाला आदि) के अनुचित स्थान पर होने से वार्तालाप में कठिनाईयाँ हो सकती हैं।


22. वास्तु दोष उपचार के अभाव: जब घर या बिल्डिंग में वास्तु दोष होता है और उसका समाधान नहीं किया जाता है, तो समस्याएं बढ़ सकती हैं।


23. सूर्यास्त दोष: घर में उच्च स्थान या दक्षिण-पश्चिम में सूर्यास्त होने से समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि विवाद, नौकरी की समस्या आदि।


24. छत का दोष: घर की छत में विकृति या छत की ऊँचाई में असंतुलन होने से घर में स्थिरता न होने की समस्या हो सकती है।


25. वास्तु शास्त्र का अनुशासन न करने से होने वाले दोष: वास्तु शास्त्र के अनुसार नियमों का पालन न करने से वास्तविक और सुखद जीवन में असुख और दुर्भाग्य हो सकता है।


26. भूमि का दोष: घर की भूमि में विकृति, विक्षेप, गड्ढे या नीची स्तर पर भूमि होने से समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


27. दोषग्रस्त पूर्व द्वार: दोषग्रस्त पूर्व द्वार से परिवार के बीच अनिच्छित विवाद और असमंजस का सामना करना पड़ सकता है।


28. विद्युत समस्या: विद्युतीय उपकरणों में समस्या होने से उत्पन्न होने वाली अचानक आपूर्ति या खतरनाक स्थिति हो सकती है।


29. नये घर का दोष: घर के निर्माण में अनुचित समय या तकनीक का उपयोग होने से नए घर में समस्याएं हो सकती हैं।


30. दोषग्रस्त पूर्वाधिकारी: विदेशी या दोषग्रस्त पूर्वाधिकारी वाले घर में व्यक्तियों को अनिच्छित समस्याएं आ सकती हैं।


31. आकारिक दोष: घर के निर्माण में गलत आकार के रूम या कमरे होने से उस जगह का उपयोग करने में कठिनाईयाँ हो सकती हैं।


32. अविशुद्ध भूमि दोष: जब घर का निर्माण अविशुद्ध भूमि पर किया जाता है, तो उससे स्वास्थ्य, धन, और शांति सम्बंधी समस्याएं हो सकती हैं।


33. शरीरिक दोष: घर में शरीरिक दोष होने से लोगों में बीमारियां, तनाव, और दुख हो सकता है।


34. रंगों का दोष: घर की दीवारों में गलत रंग चुनने से मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव हो सकता है।


35. प्रकाश दोष: घर में प्रकाश के अनुचित वितरण से दिनचर्या और रोज़मर्रा की गतिविधियों में असुविधाएं हो सकती हैं।


36. शौचालय दोष: बाथरूम और शौचालय का गलत स्थान चुनने से धन सम्बंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


37. पुराने विकल्पों का दोष: घर में बुरे या अच्छे नए या पुराने विकल्पों को रखने से बदलाव नहीं हो पाता है और समस्याएं बढ़ सकती हैं।


38. दूधारू दोष: घर में दूधारू दोष होने से धन की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


39. शृंगार दोष: घर में शृंगार समान वस्तुओं को सही दिशा में न रखने से पारिवारिक सम्बंधों में तनाव हो सकता है।


40. दुर्बल स्थान: घर के दुर्बल स्थानों के कारण वहां रहने वाले लोग विपरीत प्रभाव महसूस कर सकते हैं।


हमारे  VASTU TIPS FOR HOME में हमने कुछ वास्तु दोषों के बारे में जाना , जो वास्तु शास्त्र में प्राचीन समय से उपलब्ध हैं। वास्तु दोषों से बचने के लिए उपयुक्त वास्तु उपाय अपनाएं और घर की सकारात्मकता और समृद्धि को बढ़ाएं।

इस लेख में, हमने विभिन्न विषयों पर चर्चा की है जैसे: –

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